Friday, May 14, 2021

ध्यान साधना कैसे करे

  ध्यान साधना कैसे करे की व्याख्या या  परिभाषित करना आसान नहीं है। इस लेख में इसको पारिभाषित किया गया है और इसके प्रकार और विशेषताओं के बारे में बताया गया है। इसके चमत्कारिक अनुभव और फायदे भी बहुत है

ध्यान कैसे लगायें मन ही मनुष्य के मोक्ष-बंधन का कारण है। मनुष्य केवल रक्त, हड्डी, मांस, मज्जादि का पुतला ही नहीं है, उसमें मन भी है और मन में भिन्न-भिन्न प्रकार के संस्कार और विकार भरे पड़े हैं। बचपन से मन पर जिन विषयों का भी प्रभाव पड़ता है, वह मन में कहीं दब जाता है। जब भी काम, क्रोध, लोभ, अहंकार, डर, ईर्ष्या, राग व द्वेष का वेग आता है, तभी इनका प्रभाव शरीर, श्वास और मन पर पड़ता है। क्रोध में शरीर पर नियंत्रण नहीं रहता, शरीर की रंगत बदल जाती है, श्वास उखड़ जाता है। डर के प्रभाव से शरीर कांपने लगता है, रंग पीला पड़ जाता है, श्वास क्रिया भी रुकती है। इसी प्रकार कामवासना शरीर और श्वास पर प्रभाव डालती है ।

ईर्ष्या, राग, द्वेष-आदि के प्रभाव भी शरीर और श्वास पर पड़ते हैं । इन सभी विकारों के शरीर और श्वास पर पड़ने वाले प्रभाव तो दीखते हैं, परंतु इनका मन पर पड़ने वाला प्रभाव दिखाई नहीं देता। शरीर पर दिखाई देने वाले प्रभाव से कहीं अधिक प्रभाव मन पर पड़ता है। ये प्रभाव सूक्ष्म संस्कारों के रूप में मन के किसी भाग में दबे पड़े रहते हैं। इन्हीं को विकार भी कहते हैं।


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